Sunday, 20 April 2014

... मैं हो तुम !!!

कभी सपना कभी हक़िक़त मैं हो तुम
इस भिगेसे किनारेकी चाहत मैं हो तुम
हमारे जिने का बस इक वजूद तुम हो
उस खुदासे मांगी हर दुआ मैं हो तुम

ये बेहेता पानी ये गुञ्जति हवा हो तुम
हर पन्नेपें छाया मोती-ए-बुंद हो तुम
मेरे दिल के धडकनकी हर वजाह तुम हो
उस खुदासे मांगी हर दुआ मैं हो तुम

निंदे चुराकर जगाये वो रात हो तुम
जो ढलतेभी ना बीती जाये वो शाम हो तुम
कर दे मुश्किल ये जिना ऐसी बात तुम हो
उस खुदासे मांगी हर दुआ मैं हो तुम

बंद आंखोंसे दिख जाए वो चेहरा हो तुम  
बिना पिये ही चढ जाए वो प्याला हो तुम 
मेरे इस जिस्म की परछायी तुम हो 
उस मौलासे मांगी हर दुआ मैं हो तुम

- Oms 
२०/०४/२०१४
११:२५ मि.

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